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कीबोर्ड पर QWERTY में क्यों लिखे होते हैं अक्षर, ABCD…में क्यों नहीं?

by badhtabharat

 नई दिल्ली : क्या आपने कभी सोचा है कि आपके कंप्यूटर या लैपटॉप के कीबोर्ड पर अक्षर इस बेतरतीब तरीके से क्यों रखे गए हैं? A, B, C, D की साधारण ताल के बजाय हमें QWERTY जैसा पैटर्न क्यों मिलता है? अगर यह सवाल आपके मन में आया हो तो आप अकेले नहीं हैं. टाइपिंग सीखने का कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाले लाखों लोगों के मन में यह सवाल कभी न कभी जरूर उठता है. 100 में से 99 लोग तो इसके बारे में नहीं ही जानते हैं. यदि आप भी नहीं जानते, तो फिक्र करने की बात नहीं, हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं.

कीबोर्ड की QWERTY डिजाइन की जड़ें टाइपराइटर के आविष्कार से जुड़ी हैं, जो 19वीं शताब्दी में हुआ था. टाइपराइटर का पहला सफल मॉडल क्रिस्टोफर लैथम शोल्स (Christopher Latham Sholes) ने 1868 में बनाया था. हालांकि, शुरुआत में इसका डिजाइन सिंपल था और इसमें अक्षरों को A से Z तक क्रम में सजाया गया था. लेकिन जल्द ही एक बड़ी समस्या सामने आई. जब लोग तेजी से टाइप करते थे, तो टाइपराइटर की कीज़ (Keys) अक्सर आपस में टकरा जाती थीं और मशीन अटक जाती थी.

शोल्स और उनके साथियों ने QWERTY कीबोर्ड का आविष्कार किया. इस डिज़ाइन का उद्देश्य था कि कीज़ की ऐसी सेटिंग बनाई जाए, जिससे टाइपिंग की स्पीड बेशक थोड़ी धीमी हो, लेकिन कीज़ आपस में टकराएं नहीं. इसी विचार के साथ अक्षरों को इस तरह से सजाया गया कि टाइपिस्ट जब टाइप करें तो उन्हें दिक्कत न हो. इस कीबोर्ड को QWERTY नाम दिया गया, ऊपरी लाइन में पहले 6 अक्षय Q, W, E, R, T, Y हैं.

टाइपराइटर के शुरुआती मॉडलों में सबसे सफल रेमिंगटन (Remington) कंपनी का टाइपराइटर था, जिसने QWERTY लेआउट को अपनाया. चूंकि रेमिंगटन उस समय की प्रमुख टाइपराइटर निर्माता कंपनी थी, इस वजह से धीरे-धीरे QWERTY लेआउट का नया मानक बन गया. इसके बाद जब कंप्यूटर कीबोर्ड का आविष्कार हुआ, तब भी इसी डिज़ाइन को अपनाया गया, क्योंकि लोग इससे पहले से परिचित थे.

हालांकि QWERTY सबसे प्रचलित कीबोर्ड डिज़ाइन है, पर यह एकमात्र विकल्प नहीं था. ड्वोरक (Dvorak) कीबोर्ड एक और डिज़ाइन है, जिसे 1930 के दशक में डॉ. ऑगस्ट ड्वोरक ने विकसित किया. इस कीबोर्ड का लक्ष्य टाइपिंग की गति और आराम को बढ़ाना था. ड्वोरक कीबोर्ड में अक्सर इस्तेमाल होने वाले अक्षरों को इस तरह व्यवस्थित किया गया था कि उंगलियों की मूवमेंट कम हो टाइपिंग सहजता से हो. लेकिन, चूंकि QWERTY पहले से ही काफी प्रचलित था, ड्वोरक कीबोर्ड ने उतनी लोकप्रियता नहीं मिली.