कुपवाडा/कश्मीर : भारतीय नियंत्रण रेखा के पास कश्मीर के कुपवाड़ा में 75 सालों के बाद शारदा मंदिर के कपाट विधि विधान और वैदिक मंत्रोचार के बीच खोले गए । इस अवसर पर आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार पीठों में से 3 पीठों, ज्योतिर्मठ, द्वारका शारदा पीठ और श्रृगेरी पीठ के शंकराचार्य के प्रतिनिधियों ने इस धार्मिक आयोजन में भाग लिया । देश के गृहमंत्री और जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल ने इस अवसर पर अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।
उल्लेखनीय है कि आदि शंकराचार्य ने चार पीठों के साथ ही कश्मीर स्थित सर्वज्ञपीठ में भगवती श्रीशारदादेवी की पूजा की थी । तब से ही यह सनातनियों की शिक्षा का प्रमुख केन्द्र रहा है । सन 1948 तक स्वामी नन्दलाल ने सर्वज्ञपीठ स्थित शारदादेवी की पूजा परम्परा को जीवित रखा। धर्मिक आधार पर देश के विभाजन के बाद सर्वज्ञपीठ पाक अधिकृत कश्मीर में चला गया। इस पौराणिक मन्दिर को वहां के मुसलमानों ने क्षतिग्रस्त कर दिया। जो आज भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था मे है । कश्मीरी पण्डितों के एक विशेष समूह ने रवीन्द्र पण्डिता के नेतृत्व में शेव शारदा कमेटी नाम से संस्था बनाकर मूल पीठ की प्राप्ति के लिए व्यापक अभियान चलाया । 2021 में बार्डर के पास स्थित तीतवाल गांव कुपवाडा कश्मीर में स्थान लेकर शारदा मन्दिर की स्थापना की। इसका उद्घाटन नववर्ष के पहले दिन 22 मार्च 2023 को देश के गृहमंत्री अमितशाह द्वारा ऑनलाइन किया गया । उन्होने कहा कि इस मन्दिर के उद्घाटन के साथ ही देश में शारदा सभ्यता की पुनः शुरुआत हुई ।
शारदीय नवरात्र के अवसर पर शारदा मंदिर के कपाट खोले गए। चार द्वारोंं में से उत्तरी द्वार का कपाट खोलने के लिए ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिष्य ब्रह्मचारी मुकुंदानन्द ने उत्तरी द्वार खोला । शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती की ओर से ब्रह्मचारी विष्णुप्रियानन्द ने पश्चिमी द्वार खोला । दक्षिणी द्वार श्रंगेरी मठ के प्रतिनिधि गौरीशंकर जी द्वारा खोला गया।