नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना के बेड़े में छह दशकों तक गौरवशाली सेवा देने वाला मिग-21 लड़ाकू विमान अब अपने ऑपरेशनल रोल से विदाई ले रहा है। इस ऐतिहासिक क्षण से ठीक पहले, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने खुद इस विमान में उड़ान भरी, जो इस दिग्गज विमान को एक भावुक विदाई सलाम माना जा रहा है। 26 सितंबर, 2025 को आधिकारिक रूप से मिग-21 को सेवामुक्त कर दिया जाएगा।
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने 18-19 अगस्त को बीकानेर के नाल एयरबेस से इस विमान में एकल उड़ान भरी। उनके लिए यह क्षण इसलिए भी खास था, क्योंकि उन्होंने 1985 में इसी विमान से अपनी पहली ऑपरेशनल उड़ान भरी थी। उन्होंने मिग-21 को वायुसेना की रीढ़ बताते हुए कहा कि इसकी तेज रफ्तार, फुर्ती और सरल डिजाइन हर उस पायलट के जीवन में खास यादें छोड़ जाएगी जिसने इसे उड़ाया है।
यह विमान 1963 में वायुसेना में शामिल हुआ था और भारत का पहला सुपरसोनिक विमान था। इसने 1965 और 1971 के युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, खासकर 1971 के युद्ध में ढाका स्थित गवर्नर हाउस पर हमला कर पाकिस्तानी सेना के समर्पण में अहम भूमिका निभाई थी। वायुसेना प्रवक्ता विंग कमांडर जयदीप सिंह ने बताया कि मिग-21 ने 1971 में एफ-104 विमानों को मार गिराने से लेकर हाल ही में एफ-16 का सामना करने तक अद्वितीय विरासत छोड़ी है।
इसे दुनिया के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले सुपरसोनिक जेट में से एक माना जाता है। हालांकि, तकनीकी बदलावों की कमी के कारण यह कई दुर्घटनाओं का शिकार भी हुआ, जिसमें 200 से अधिक जांबाज पायलट शहीद हुए। मिग-21 की जगह अब स्वदेशी तेजस के साथ-साथ राफेल और सुखोई-30 जैसे आधुनिक विमान लेंगे। वायुसेना और देशवासी इस आइकॉनिक विमान को उसकी गौरवशाली सेवा के लिए हमेशा याद रखेंगे।