देहरादून : सूचना आयोग उत्तराखण्ड के आयुक्त विवेक शर्मा द्वारा लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड, दुगड्डा की लोक सूचना अधिकारी/सहायक अभियंता आकृति गुप्ता को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20 (1) के अंतर्गत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। जिसमें कहा गया है कि धारा 20 (1) के अंतर्गत दर्शित करेंगे कि आयोग में गलत तथ्य प्रस्तुत करने एवं सूचना की पहुंच में बाधा उत्पन्न करने के लिए क्यों ना उन पर ₹25000 तक की शास्ति आरोपित कर दी जाए।
दरअसल कोटद्वार में लोक निर्माण विभाग की भूमि पर लगातार अवैध कब्जे हो रहे हैं, जिसका लोक निर्माण विभाग के अधिकारी संज्ञान नहीं ले रहे हैं। उक्त के क्रम में सूचना का अधिकार में मुजीब नैथानी ने अपनी शिकायतों पर लोक निर्माण विभाग की जमीन पर हुए अतिक्रमण के संबंध में की गई कार्यवाही की प्रमाणित छायाप्रतिलिपि के लिए आवेदन किया था , सूचना प्राप्त न होने पर प्रथम अपील में यह सामने आया था कि लोक निर्माण विभाग द्वारा ऐसी कोई कार्यवाही की ही नहीं गई है, जिस पर प्रथम अपीलीय अधिकारी ने दिनाँक: 22 दिसंबर 2021 को लोक सूचना अधिकारी ,लोक निर्माण विभाग, दुगड्डा को कार्यवाही कर सूचना मुजीब नैथानी को उपलब्ध कराने के आदेश जारी किए थे, मगर सालों भी जाने के बाद भी कोई कार्यवाही ना होने पर यह मामला सूचना आयोग पहुंच गया।
जहां लोक सूचना अधिकारी/ सहायक अभियंता आकृति गुप्ता द्वारा राज्य सूचना आयुक्त विवेक शर्मा की पीठ के समक्ष यह कथन किया कि अधिशासी अभियंता द्वारा प्रथम अपील में दिए गए निर्देशों के उपरांत उपजिलाधिकारी कोटद्वार को संयुक्त रूप से अतिक्रमण चिन्हित करने हेतु दिनांक 22:12 2021 को पत्र प्रेषित किया गया था , किंतु उनके स्तर से अभी तक तिथि निर्धारित नहीं की गई है, जिस कारण उक्त प्रकरण में अग्रिम कार्रवाई लंबित है।
इस पर न्याय हित में उप जिलाधिकारी कोटद्वार को अपील में पक्षकार बनाते हुए राज्य सूचना आयुक्त विवेक शर्मा द्वारा नोटिस जारी किया गया कि आगामी तिथि पर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करेंगे कि लोग सूचना अधिकारी, कार्यालय अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग दुगड्डा द्वारा बार-बार पत्राचार करने के उपरांत भी उनके द्वारा उक्त प्रकरण पर कार्यवाही ना किए जाने के क्या कारण रहे तथा सूचना की पहुंच में बाधा उत्पन्न कराने के लिए क्यों ना उनके विरुद्ध उच्च अधिकारी को अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा प्रेषित कर दी जाए।
उक्त के क्रम में उप जिलाधिकारी कोटद्वार द्वारा स्पष्ट किया गया कि उपजिलाधिकारी कार्यालय के पत्र संख्या 568 /जेए/ 2021 दिनांक : 31/03 /2022 के द्वारा तहसीलदार कोटद्वार एवं राजस्व निरीक्षक पट्टी सुखरो को पत्र प्रेषित करते हुए अतिक्रमण चिन्हित करने हेतु दिनांक 7 अप्रैल 2022 की तिथि निर्धारित की गई थी, जिसकी प्रति अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग दुगड्डा को आवश्यक कार्यवाही हेतु एवं अपीलार्थी को भी प्रेषित की गई थी, किंतु प्रकरण पर अग्रेतर कार्यवाही ना होने के क्रम में पुनः पत्र संख्या 966 /जे ए/2022 दिनांक 12/05 /2022 के द्वारा अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग को पत्र प्रेषित किया गया तथा प्रतिलिपि तहसीलदार कोटद्वार को भी प्रकरण में आख्या प्रस्तुत करने हेतु प्रस्तावित की गई ।
उप जिलाधिकारी के उक्त स्पष्टीकरण पर राज्य सूचना आयुक्त विवेक शर्मा द्वारा पत्रावली का परीक्षण किया गया एवं उभय पक्षों के मौखिक कथनों को सुनने के पश्चात यह तथ्य प्रकाश में आया कि गत तिथि पर आकृति गुप्ता, लोक सूचना अधिकारी/ सहायक अभियंता द्वारा आयोग के समक्ष बिना प्रकरण का संज्ञान लिए गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए। जबकि उप जिलाधिकारी दुगड्डा द्वारा आज प्रेषित आख्या के परीक्षण से स्पष्ट हो रहा है कि उनके स्तर पर कार्यवाही की गई है , क्योंकि उपस्थित लोक सूचना अधिकारी स्थिति स्पष्ट करने में असमर्थ है और तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी आकृति गुप्ता, लोक सूचना अधिकारी/ सहायक अभियंता द्वारा आयोग के समक्ष गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं, अतः आकृति गुप्ता, तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी , सहायक अभियंता सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के अंतर्गत कारण दर्शित करेंगे कि आयोग में गलत तथ्य प्रस्तुत करने एवं सूचना की पहुंच में बाधा उत्पन्न करने के लिए क्यों ना उन पर ₹25000 मात्र तक की शास्ति अधिरोपित कर दी जाए। साथ ही लोक सूचना अधिकारी को निर्देशित किया जाता है कि उक्त प्रकरण पर आगामी तिथि पर स्पष्ट करेंगे कि उपजिलाधिकारी दुगड्डा द्वारा प्रेषित पत्र उनके कार्यालय में कब प्राप्त हुए, एवं उन पत्रों पर क्या कार्रवाई की गई और यदि कार्रवाई नहीं की गई तो कार्रवाई ना करने हेतु कौन अधिकारी कर्मचारी जिम्मेदार हैं।