लैंसडाउन : भक्त दर्शन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जयहरीखाल में नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत चलाए जा रहे गंगा स्वच्छता पखवाड़ा कार्यक्रम की श्रृंखला में महाविद्यालय में आज 24 मार्च 2023 को जल संरक्षण एवं जल संचय विषय पर आयोजित की गई संवाद एवं संगोष्ठी । कार्यक्रम का शुभारम्भ महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो डॉ एल आर राजवंशी द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी नमामि गंगे टीम के सदस्यों को सम्बोधित करते हुए बताया गया कि संसार के प्रत्येक प्राणी का जीवन आधार जल ही है। शायद ही ऐसा कोई प्राणी हो जिसे जल की आवश्यकता न हो।
मानव अपने स्वास्थ्य, सुविधा, दिखावा व विलासिता को दिखाने के लिये अमूल्य जल की बर्बादी करने से नहीं चूकता है। पानी का इस्तेमाल करते हुए हम पानी की बचत के बारे में जरा भी नहीं सोचते हैं। परिणामस्वरूप अधिकांश जगहों पर जल संकट की स्थिति पैदा हो चुकी है। यदि हम अपनी आदतों में थोड़ा-सा भी बदलाव कर लें तो पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है। बस आवश्यकता है दृढ़संकल्प करने की तथा उस पर गंभीरता से अमल करने की, क्योंकि जल है तो हमारा भविष्य है। कार्यक्रम का संचालन नमामि गंगे कार्यक्रम के नोडल अधिकारी वरुण कुमार द्वारा किया गया।
आयोजित संवाद संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ आर के द्विवेदी द्वारा पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से जल संरक्षण एवं जल संचय विष्य पर विस्तार से व्याख्यान दिया।उनके द्वारा बताया गया की जल संरक्षण का अर्थ पानी बर्बादी तथा प्रदूषण को रोकने से है। जल संरक्षण एक अनिवार्य आवश्यकता है क्योंकि वर्षाजल हर समय उपलब्ध नहीं रहता अतः पानी की कमी को पूरा करने के लिये पानी का संरक्षण आवश्यक है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में 350 मिलियन क्यूबिक मील पानी है। इसमें से 97 प्रतिशत भाग समुद्र से घिरा हुआ है। पृथ्वी पर जल तीन स्वरूपों में उपलब्ध होता है: 1. तरल जल – समुद्र, नदियाँ, झरने, तालाब, कुएँ आदि; 2. ठोस जल (बर्फ) – पहाड़ों तथा ध्रुवों पर जमी बर्फ एवं 3. वाष्प (भाप) – बादलों में भाप। यद्यपि पानी की एक बूँद मात्रा देखने में बहुत कम लगती है। परंतु यदि इसे न रोका जाए तो बहुत पानी बरबाद हो जाता है,जल संरक्षण कीजिए, जल जीवन का सार हे जल न रहे यदि जगत में तो जीवन है बेकार। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक एवं कर्मचारियों उपस्थित रहे।