बक्सर : सिद्धाश्रम (बक्सर) का अध्यात्मिक इतिहास काफी समृद्ध है। धार्मिक क्षेत्र में इस स्थली के गौरव गाथाओं से वेद व पुराण भरे पड़े हैं। इसी कड़ी से जुड़ा है, सदर प्रखंड का अहिरौली गांव। जो बक्सर से मात्र तीन किलोमीटर पूरब अवस्थित है। इसे श्रीराम भक्त व अंजनी पुत्र हनुमान का ननिहाल भी कहा जाता है। पौराणिक उल्लेखों के मुताबिक, इसी स्थान पर महर्षि गौतम अपनी पत्नी अहिल्या व पुत्री अंजनी के साथ सपरिवार निवास करते थे। महर्षि गौतम के शाप के कारण पत्थर बनी अहिल्या को धनुष यज्ञ में भाग लेने जनकपुर जाने के क्रम में श्रीराम ने उनका उद्धार किया था। जहां आज भी मंदिर बनाकर अहिल्या की पूजा की जाती है। कहते हैं अहल्या आश्रम होने के चलते ही उस गांव का नामकरण अहिरौली हुआ। जाहिर सी बात है कि अहिल्या की पुत्री अंजनी के गर्भ से जन्म लेने के कारण बक्सर का यह पावन क्षेत्र हनुमान जी का ननिहाल होगा।
साकेतवासी पूज्य संत श्रीनारायणदास जी भक्तमाली ‘मामाजी’ द्वारा रचित पुस्तक में इसका उल्लेख मिलता है। जिसके मुताबिक हनुमान जी का ननिहाल अहिरौली में था। उल्लेखों के अनुसार अहिल्या पुत्री अंजनी यही पली-बढ़ी और उनकी शादी दक्षिण भारत में केसरी नाम के बंदर से हुआ। इस नाते अंजनी का मायका अहिरौली में था। लिहाजा हनुमान जी का ननिहाल होना तथ्यपरक है। तथ्यों के मुताबिक सदर प्रखंड के नुआंव स्थित सरोवर में माता अंजनी स्नान करने के लिये बराबर जाया करती थी। जहां हनुमान जी पेड़ों पर उछल-कूद कर खेलते थे। जिससे वह सरोवर आज ‘अंजनी सरोवर’ के नाम से विख्यात है।