Home » Blog » वेदनी बुग्याल में पूजा अर्चना के बाद नंदा की कैलाश विदाई के साथ ही लोकजात का हुआ समापन

वेदनी बुग्याल में पूजा अर्चना के बाद नंदा की कैलाश विदाई के साथ ही लोकजात का हुआ समापन

by badhtabharat

-नंदा की उत्सव डोली वांक गांव लौटी

देवाल (चमोली)। ग्यारह हजार फीट की ऊंचाई में स्थित वेदनी कुंड में मंगलवार को विधि विधान और मंत्रोच्चारण के साथ नंदा देवी कैलाश विदाई के साथ ही लोकजात यात्रा का समापन हो गया है । यात्रा में पहुंचे सौकडो भक्तों ने वेदनी पवित्र सरोवर में आस्था की डूबकी लगा कर मां नंदा को कैलाश शिवधाम के लिए विदा किया, वहीं नंदा की विग्रह डोली वापस वाक गांव लौट गई है।

म्ांगलवार को नंदा की विग्रह डोली वाण गांव से वेदनी कुंड पहुंची। जहां नंदा की उत्सव डोली ने कुंड की परिक्रमा की और उसके बाद नंदा की उत्सव डोली को नंदा की चौकी पर भक्तों के दशर्नाथ रखा गया। नंदादेवी के पंडित उमेश कुनियाल ने विधि-विधान से मंत्रोच्चारण पूजा अर्चना और अभिषेक करवाया। नंदा देवी लोकजात के समापन पर ग्राम सभा घेस, बलाण, पिनाऊ, कनोल, कुलिग, सुतोल, वांक, वाण, कुलिग सहित गढ़वाल, कुमाऊं क्षेत्र से पहुंचे चार हजार से अधिक श्रद्धालूओं ने मां नंदा की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया। कई श्रद्वालुओं ने वेदनी कुंड में अपने पितरों का श्राद्ध किया।

वहीं दूसरी ओर वेदनी में आयोजित तीन दिवसीय 37वां रूपकुंड महोत्सव विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ संपन्न हो गया है।  नंदा देवी लोकजात यात्रा के अध्यक्ष नरेश चंद्र, मंसाराम गौड़ ने कहा कि नंदा की विग्रह डोली वापस वांक से रात्रि विश्राम के लिए लौट गई है। नंदा की उत्सव डोली ल्वाणी, बमणवेरा, उलंगरा, बेराधार होते हुए 16 सितम्बर को अपने ननिहाल देवराडा थराली में प्रवास करेगी। यहीं पर नंदा की छह माह पूजा अर्चना की जायेगी। इस मौके पर  महोत्सव के अध्यक्ष कुंवर सिंह, उपाध्यक्ष रघुवीर सिंह, राधा देवी, कलम सिंह बिष्ट, हीरा सिंह, कृष्णा बिष्ट, सहित सौकडो भक्त मौजूद थे।