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चमोली : बागवानी को महेंद्र ने बनाया रोजगार का जरिया, कई लोगों को भी दे रहे हैं रोजगार

by badhtabharat

 

चमोली: इन खेतों में कुछ हो नहीं रहा, और जो हो रहा है बंदर, लंगूर और सूअर बरबाद कर रहे हैं……. ये जुमला राज्य निर्माण के बाद से आमतौर पर सुनाई देने लगा है। लेकिन इस जुमले को चमोली के सरतोली गांव निवासी महेंद्र सिंह बिष्ट ने बागवानी को रोजगार का जरिया बनाकर झुठला दिया है। महेंद्र जहां बागवानी के जरिये स्वयं आय अर्जित कर रहे हैं। वहीं गांव के 8 से 10 ग्रामीणों को भी रोजगार मुहैया करवा रहे हैं। उनकी मेहनत का नतीजा है कि उन्हें उन्नतिशील कृषक के रुप में देश के नामी संस्थान सम्मानित कर चुके हैं।

महेंद्र ने बताया कि राज्य के पहाड़ी क्षेत्र के अन्य युवाओं की तरह 17 साल पहले मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढाई पूरी कर बेहतर शहरी जिंदगी चाह में वह दिल्ली चले गये थे। जहां ओमैक्स आटो लि. कंपनी में प्रोडक्शन मैनेजर के पद पर कार्य कर उन्हें 85 हजार की मासिक वेतन मिल रही थी। लेकिन शहर की जिंदगी उन्हें रास नहीं आई और वर्ष 2019 के सितम्बर माह में महेंद्र अपने गांव सरतोली लौट आये। जहां उन्होंने ग्रामीणों की बंजर पड़ी 200 नाली भूमि 20 वर्षों की लीज पर लेकर सब्जी व दुग्ध उत्पाद शुरु किया। जिससे अब उन्हें करीब 60 हजार रुपये मासिक आय होने लगी है। कहा कि

उनकी ओर से 200 नीबू और 50 कीवी के पौधे लगाये गये हैं। जिनसे आगामी वर्ष फल मिलने लगेंगे, जिससे आय में वृद्धि होगी। वहीं उन्होंने आगामी वर्ष भी कीवी के पौधों के रोपण की योजना बनाई है।

महेंद्र देवभूमि बागवानी पुरस्कार से हो चुके सम्मानित
महेंद्र के बेहतर बागवानी के कार्यों को देखते हुए आईएसएचआरडी (इंडियन सोसाइटी आफ हाॅल्डीकल्चरल रिसर्च एण्ड डेवलमेंट इंस्टिट्यूट) ने वर्ष 2019-20 के लिये उन्हें पंतनगर कृषि विवि में आयोजित कार्यक्रम में देवभूमि बागवानी पुरस्कार से सम्मानित किया है।