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जज्बे को सलाम : चमोली की गुड्डी ने 40 साल की उम्र में दिखाया हौसला, बेटों साथ दे रहीं 10वीं की परीक्षा

by badhtabharat

 

चमोली: कहते हैं कि पढ़ने की काई उम्र नहीं होती है। आपका जब मन करे आप पढ़ सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। ऐसी ही एक प्रेरक तस्वीर और कहानी चमोली जिले से सामने आई हैं। 40 साल की गुड्डी देवी भी अपने पढ़ने के सपने को पूरा कर रही हैं। उनके इस सपने के रोल मॉडल उनके दोनों बेटे हैं, जिनके साथ बैठकर वो इन दिनों 10वीं की परीक्षा दे रही हैं।

आठवीं के बाद पारिवारिक कारणों ने पढ़ाई नहीं कर पाई गुड्डी शादी के बाद घर-गृहस्थी में ऐसी फंसी कि बीस साल तक वह किताबों से दूर रही। लेकिन, पढ़ने की ललक कम नहीं हुई। गुड्डी देवी का हिंदी का पहला पेपर अच्छा गया है। 21 मार्च को विज्ञान का पेपर है, जिसकी वो तैयारी की रही हैं। भेटी गांव निवासी गुड्डी देवी पत्नी शिवलाल ने अपने मायके थराली ब्लॉक के रतगांव से आठवीं की परीक्षा वर्ष 1996 में पास की थी।

उसके बाद शादी हो गई और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वह अपनी पढ़ाई को जारी नहीं रख पाईं। उसके दो बेटे हैं अंशुल और अंकुश। बेटे बड़े हुए तो उन्होंने मुझे फिर से पढ़ाई शुरू करने के लिए प्रेरित किया। शुरू में मैंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया लेकिन बच्चे लगातार मुझे इसके लिए प्रेरित करते रहे। जिसके बाद उन्होंने इस साल दसवीं की परीक्षा के लिए आवेदन किया। उन्होंने बताया कि बच्चे अपनी पढ़ाई के साथ मेरी भी तैयारी करवाते रहे हैं। पति ने भी पूरा सहयोग किया। जिसके चलते वह इस साल दसवीं की परीक्षा दे पा रही हैं। बड़ा बेटा अंशुल भेटवाल इंटरमीडिएट और छोटा बेटा अंकुश भेटवाल दसवीं की परीक्षा दे रहा है। नंदानगर के राजकीय आदर्श इंटर कॉलेज बांजबगड़ में परीक्षा केंद्र है।

भेंटी गांव से जीआईसी बांजबगड़ करीब पांच किमी दूर है। दोनों बच्चे यहीं पढ़ने आते हैं। अब परीक्षा केंद्र भी इसी विद्यालय में बनाया गया है तो परीक्षा देने के लिए मां और बेटे साथ में आ रहे हैं। गुड्डी ने हिंदी का पेपर दिया। गुड्डी ने बताया कि हिंदी का पेपर अच्छा गया है यदि आगे भी ऐसे ही पेपर आए तो परीक्षा उत्तीर्ण कर लूंगी।