देहरादून : भारत सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अंतर्गत 100 दिन 100 शहरों में योग दिवस पर प्रोटोकॉल एवं सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है| इस श्रृंखला में इस बार यह कार्यक्रम आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संपन्न कराने के लिए श्री गुरू राम विश्वविद्यालय का चयन किया गया है। योग दिवस के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय में योगाभ्यास एवं सेमिनार का आयोजन किया गयाए जिसमें सैकड़ों विद्याथियों और शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।आयुष मंत्रालय एवं भारत सरकार एवं मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित की जा रही व्याख्यानमाला श्रृंखला में गुरूवार को श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय में योग दिवस के उपलक्ष्य में प्रथम सत्र में प्रातः सैकड़ों छात्रों और शिक्षकों ने योग प्रोटोकॉल का अनुसरण करते हुए योगाभ्यास किया। वहीं द्वितीय सत्र में मानवता के लिए योग की थीम पर आयोजित सेमिनार में उपस्थित विशेषज्ञों ने सभी को योग के महत्व और इसके लाभों से अवगत कराया।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज ने छात्रों को शुभकामना संदेश प्रेषित करते हुए कार्यक्रम की सफलता की कामना की। कार्यक्रम की शुरूआत कुलपति एवं मुख्य वक्ताओं ने दीप प्रज्वलित कर की। इसके उपरांत गणेश वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की गई। सर्वप्रथम सामाजिक एवं मानवीय विद्याशाखा की डीन एवं योगा विभाग की प्रोफेसर सरस्वती काला ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने वर्तमान समय में योग की आवश्यकता और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा हमारी प्राच्य विधाओं को पुर्नजीवित करने की मुहित चलाई जा रही है। इसी मुहिम के अंतर्गत योग और प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचार.प्रसार के लिए अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। इसके अंतर्गत भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा 100 दिन 100 शहरों में योग दिवस की श्रृंखला में विश्वविद्यालय में योगाभ्यास व सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. यू.एस. रावत ने कहा कि नई शिक्षा नीति में योग से जुड़े विभिन्न पाठ्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं। उनका कहना था कि योग सभी के सुख और कल्याण की कामना करता है। योग प्राचीन काल से ही हमारी सभ्यता और दिनचर्या का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। बीच में लोग योग को भूल गए थे लेकिन कोराना काल के बाद से योग सभी के जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है। कोरोना काल में मिले योग के फायदों से आज सभी लोग अवगत हैं। उनका कहना था कि योग शारीरिक स्वास्थ्य के साथ.साथ सामाजिक स्वास्थ्य और समरसता का भी आदर्श प्रस्तुत करता है। योग एक प्रकार का विज्ञानए कला और शिक्षा है। उन्होेंने बताया कि विश्वविद्यालय के योग विभाग के विद्यार्थी विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजय हासिल करने के साथ.साथ कई रिकार्ड बना रहे हैंए जोकि विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय है।
सेमिनार में प्रथम वक्ता के रूप में डॉ. नवदीप जोशी, अंतर्राष्ट्रीय नाद योगी, सहायक प्राचार्य, योग विभाग श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली एवं नवयोग ग्राम के संस्थापक मौजूद रहे। उनका कहना था कि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम से प्र्रेरित है और योग के मूल में ही विश्व कल्याण की भावना नीहित है। योग ने कई सफल व्यक्तियों के जीवन को नवीन प्रेरणा देने का कार्य किया है। उनका कहना था कि योग मन के विकारों को दूर करता हैए जिससे समाज में भी सकारात्मकता का संचार होता है।
सेमिनार में प्रतिभाग करते हुए डॉ. कामाख्या कुमार विभागाध्यक्ष योग विभाग उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार का कहना था कि व्यक्ति का मानसिकए शारीरिक और आध्यात्मिक विकास योग से ही संभव है। उनका कहना था कि आज विश्व भर में योग की लोकप्रियता और प्रासंगिकता बढ़ी है। उन्होंने योग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और बताया कि ऊर्जा का एकमात्र स्त्रोत योग है। आज मनुष्य कई प्रकार की शारीरिक व मानसिक चुनौतियों से जूझ रहा है जिनको हम योग से ही दूर कर सकते हैं। योग विभिन्न संस्कृतियों और देशों के बीच मानवता और सौहार्द की बात करता है। योग मनुष्य में संवेदना को जागृत करता है तथा व्यक्ति को समाज हित व मानवहित के लिए प्रेरित करता है।
इस मौके पर डॉ राम नारायण मिश्रा, स्वामी राम नारायण विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट, देहरादून के योग विज्ञान के प्रवक्ता ने कहा कि योग वास्तव में मानवता के सिद्धांत पर ही आधारित है। सृष्टि के निर्माण से ही योग मानव कल्याण की बात करता है। उनका कहना था कि योग से मनुष्य के संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास संभव है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अरूण कुमार खंडूरी ने सभी वक्ताओं को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए छात्रों को योग के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि आज हमें स्वस्थ्य जीवन शैली के लिए योग को आत्मसात करने की जरूरत है। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. सुनील कुमार श्रीवास थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद रयाल व सुश्री साधना के द्वारा किया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय की शैक्षिक समन्वयक डॉ. मालविका कांडपाल, डीन रिसर्च प्रोफेसर लोकेश गंभीर, प्रो अरुण कुमार, डॉ. मनोज गहलोत, प्रो. कुमुद सकलानी, डॉ अनिल थपलियाल के साथ ही संबंधित स्कूलों के सभी डीन, शिक्षक गण और सैकड़ों छात्र मौजूद रहे।