कोटद्वार । राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार के राष्ट्रीय सेवा योजना के सात दिवसीय विशेष शिविर के पाँचवे दिन स्वयंसेवियों ने व्यायाम, योगाभ्यास और दैनिक प्रार्थना के साथ शिविर का आरम्भ किया ।प्रातः कालीन अल्पाहार के पश्चात स्वयं सेवियों को आपदा प्रबन्धन टीम ने आपदा के समय बचाव के गुर सिखाये गये, जिसमें महाविद्यालय के व्यावसायिक भवन के छत से रस्सी के सहारे उतरने की ट्रेनिंग दी गई। अनेक स्वयंसेवियों ने इसमे प्रतिभाग किया, इसके साथ ही रस्सी पर नोट बांधना, और अन्य उपकरणों का आपदा के समय प्रयोग की विधि बतलाई गई ।
सायंकालीन सत्र में बौद्धिक परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में वन विभाग लैंसडौन प्रभाग के डीएफओ दिनकर तिवारी ने स्वयंसेवियों को सम्बोधित किया । अपने संबोधन में दिनकर तिवारी ने बेसिक व सरल जानकारी उत्तराखण्ड के सन्दर्भ में साझा की । उन्होंने वन्य जीव संरक्षण का अनेक सन्दर्भों में मानव जीवन में उपयोगिता का भली भाँति रेखांकन किया गया, साथ ही उत्तराखण्ड का इतिहास व इतिहासकारों की ओर भी स्वयंसेवियों का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए अपनी जड़ो से जुड़ना जरूरी है ।
विशिष्ट वक्ता प्रो एमडी कुशवाहा ने पर्यावरण संरक्षण के सन्दर्भ में अपना व्याख्यान दिया, जिसमें पर्यावरण के मूलभूत घटकों की जानकारी के साथ पर्यावरण महत्ता पर विशेष बल दिया गया। वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ एसके गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने वक्तव्य में स्वयंसेवियों से पर्यावरण के सन्दर्भ में संवेदनशीलता के साथ पर्यावरण संरक्षण पर अमल करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कर्म पथ पर चलने की प्रेरणा भी दी । कार्यक्रम का संचालन करते हुए कार्यक्रम अधिकारी डॉ रोशनी असवाल ने स्वयंसेवियों को स्वच्छता और स्वस्थ जीवन हेतु जागरुक होने के लिए प्रेरित किया। बौद्धिक सत्र के अन्त में कार्यक्रम अधिकारी डॉ सरिता चौहान ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए स्वयंसेवियों को प्रकृति संरक्षण के विषय में जानकारी देते हुए जीवों के बारे में दया भावना रखने का मागदर्शन प्रदान किया।