भरारीसैण (चमोली)। गैरसैण के भरारीसैण में चले रहे बजट सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को आसपास के गांवों की महिलाऐं पारंपरिक वस्त्रों में समूहों में ग्रीष्मकालीन राजधानी में चल रहे विधान सभा में चल बजट सत्र को देखने के लिए पहुंची। बजट सत्र को देखने के लिए पहुंची महिलाओं की उत्सुकता देखते ही बन रही है। महिलाऐं दर्शक दीर्घा में बैठकर बजट सत्र को देखने के लिए काफी खुश नजर आ रही थी।
ग्रीष्मकालीन राजधानी में चल रहे बजट सत्र को देखने के लिए आसपास के गांवों के लोगों में काफी उत्सुकता रहती है लेकिन आंदोलन के चलते उन्हें यहां तक पहुंचने में काफी दिक्कतें आ रही थी। लेकिन बजट सत्र के दूसरे दिन दर्शक दीर्घा में महिलाओं के आने के लिए पास जारी किये गये जिसके बाद विधान सभा के आसपास की महिलाऐं अपने समूहों के माध्यम से पारंपरिक वस्त्रों को पहन कर बजट सत्र देखने के लिए पहुंची। गैरसैंण भराडीसैंण विधानसभा भवन जिस भूमि में बना उससे तीन किमी पर बसे परवाड़ी गांव की स्वयं सहायता समूह की महिलाऐं बजट सत्र देखने के बाद वापस लौट रही थी तो आपस में चर्चा करते हुए आशा देवी कह रही थी कि हमने तो यहां लंबे समय से मवेशियों के लिए चारापत्ति और काश्तकारी की है। उसी गांव की 45 वर्षीय रेवती देवी का कहना है कि हर बार विधानसभा सत्र के दौरान आंदोलनकारी होने के शक में विधानसभा भवन के आस पास आने नहीं दिया जाता है। परिसर में आना तो दूर की बात है इस बार प्रशासन के प्रयास से उनका सपना साकार हुआ है।
भरारीसैण विधानसभा से चार किमी की दूरी पर स्थित चैराडा गांव की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने भी बैठकर प्रदेश के भाग्य विधाताओं की बहस को सामने से देखा। विधानसभा की कार्रवाई देखकर महिलाएं वापस लौटी तो आपस में अनुभवों को साझाा करते दिखी। शकुंतला देवी का कहना है कि सुना है कि प्रदेश के विकास का बजट यहां तय हो रहा है यह तो उनके गांव के लिए सौभाग्य की बात है। उन्हीं के साथ विधानसभा की करवाई देखने पहुंची हेमा देवी का कहना है कि काश इन जनप्रतिनिधियों को इस क्षेत्र की आस पास की भी समस्या दिखती और सडक, दूरसांचार बिजली, पानी, मूलभूत सुविधाओं का भी निराकरण होता।